Operation Sindoor Delegation: विदेश मंत्री ने आतंकवाद से लड़ाई में भारत की सफलता को बताया प्रेरणादायक

Operation Sindoor Delegation: ऑल-पार्टी डेलिगेशन के सदस्य, जिनकी अगुवाई डीएमके सांसद कनिमोझी कर रही थीं, ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। इस डेलिगेशन में आम आदमी पार्टी के सांसद अशोक कुमार मित्तल भी शामिल थे। विदेश मंत्री से मुलाकात के बाद अशोक कुमार मित्तल ने प्रतिक्रिया दी कि विदेश यात्रा से लौटकर उन्होंने मंत्री से मुलाकात की और पांच देशों में मिले प्रतिक्रियाओं के बारे में उन्हें जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विदेश मंत्री ने भारत द्वारा आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए कदमों की प्रशंसा की। जयशंकर ने कहा कि वे प्रधानमंत्री से इस बारे में बातचीत करेंगे और हमें परिणाम से अवगत कराएंगे।
भारत को माना शांति प्रिय देश
अशोक कुमार मित्तल ने बताया कि डेलिगेशन ने रूस, स्पेन, ग्रीस, स्लोवेनिया और लातविया की यात्रा की। वहां उन्होंने विभिन्न सरकारों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की जिनमें विदेश मंत्री और उनके उप मंत्री भी शामिल थे। इसके साथ ही सांसदों, मीडिया और थिंक टैंक्स से भी बातचीत हुई। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत शांति का समर्थक देश है। मित्तल ने कहा कि हमने विदेश मंत्री को बताया कि भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धांत में विश्वास करता है, जिसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार है। हम सभी के कल्याण और विकास में विश्वास करते हैं। लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान लगातार भारत पर आतंकवाद थोपता रहता है।
आतंकवाद और उग्रवाद का केंद्र है पाकिस्तान
अशोक कुमार मित्तल ने बताया कि विदेश मंत्री ने उनसे पांच देशों में लोगों के रवैये के बारे में भी पूछा। उन्होंने कहा कि भारत का पक्ष रखते हुए हमें सकारात्मक समर्थन मिला। विदेश मंत्री ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान को आतंकवाद और उग्रवाद का केंद्र मानते हुए मदद देने की इच्छा जताई। मित्तल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर भी पोस्ट किया, “भारत शांति चाहता है लेकिन आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेगा। ऑपरेशन सिंदूर के तहत 9 आतंकवादी अड्डे तबाह किए गए। दुनिया ने भारत की ज़ीरो टॉलरेंस नीति का समर्थन किया। यह केवल भारत का नहीं बल्कि वैश्विक शांति के लिए लड़ाई है।”
प्रधानमंत्री से मुलाकात पर क्या कहा अशोक कुमार मित्तल ने?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के सवाल पर मित्तल ने कहा कि फिलहाल इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई क्योंकि वे केवल विदेश मंत्री से मिलने गए थे। उन्होंने कहा कि यदि हमें कोई निमंत्रण देता है तो हम खुशी-खुशी मिलेंगे। इस बातचीत से साफ हुआ कि डेलिगेशन का मुख्य फोकस भारत के आतंकवाद विरोधी कदमों को विदेशों में समझाना और समर्थन जुटाना था। इस मिशन को सफलता मिली और भारत के प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया।